शायरी इश्क़ ,मोहब्बत की, और धोखे की शायरी


शायरी इश्क़ ,मोहब्बत की, और धोखे की शायरी 



1      ग़म तो और भी बहुत है लेकिन प्यार का ग़म तो कुछ अलग ही होता है
  और ग़मों से तो उभर आते है लोग ,लेकिन प्यार के ग़म में सारी उम्र रोता है ।


shayri love ki ,shayri bewfai ki
shayri bewfai ki 


2    उसके कफ़न पर हम जा न सके ,कोई मज़बूरी थी जो कसम निभा न सके
       वो जाते हुए दुनिया को मेरा नाम बताकर गए ,मेरी मज़बूरी भी न समझी उसने
                जो ये कदम वो उठाकर गए



3     दिल करता है की आखिरी सांस भी उसकी बाँहों में बिताऊं  मैं,
           मै कितना प्यार करती हूँ ,ये किस तरह बताऊं मैं ,
        काश की तुम मुझे आजमाओ,और तुम्हारी आजमाइस में ही मर जाऊं मैं ।

shayri pyar, mohbbat ki, shayri dhokhe or bewfai ki
shayri dhokhe or bewfai ki 

शायरी इश्क़ और धोखे की शायरी 



4        मेरा कसूर ये  था जो मैंने तुझसे दिल लगाया ,क्या पत्थर दिल है तू ,जो मेरे प्यार को समझ नहीं पाया
           दिल टुटा मेरा अब ऐसा, जो की कभी जुड़ न पायेगा ,दिल रोयेगा इतना जब भी कोई तेरा जिक्र सुनाएगा ।

         

5     दिल की तहाई तुम  क्या समझोगे, प्यार की गहराई तुम क्या समझोगे
     तुम्हें  तो शायद कभी प्यार था ही नहीं हमसे ,प्यार की वफाई तुम क्या समझोगे।



6     हम तेरी गली से रोज गुजरते है जालिम ,देखते है तेरी खिड़की की और
      कभी छत्त पे तो कभी खिड़की पर आती है तू ,जो प्यार नहीं करती हो
          मुझसे , तो क्यों मुझे देखकर मुस्कुरातीं है तू।



7    प्यार- व्यार सब खेल है धोखा है यारों, फिर भी हम तो यही कहेंगे
             प्यार करो ,तुम्हे किसने रोका है यारोँ।



8       तेरी  नशीली आँखों में खो जाऊं ,तेरे हुसन की चादर में सो जाऊं
         आखिरी वक्त तक रहूं तेरी बाँहों में ,जब नींद आये तो तेरी आगोश में ही सो जाऊं ।


शायरी इश्क़ ,मोहब्बत की, और धोखे की शायरी 



9       मुझसे खता हुई  थी  जो तुझसे दिल लगा लिया,ग़म को हमेशा के लिए अपना बना लिया
        अब जीने की कोई चाहत नहीं रही हमको इसलिए हमने अपना जनाजा खुद ही सजा लिया  ।



shayri gam  ki ,     shayri bewfai ki
                                                                shayri bewfai ki

10      हम तेरे गम में न जाने क्या- क्या नशा करने लगे
       कभी शराब तो कभी सिगरेट के धुए में जलने लगे
       अब रास न आये जिंदगी हमें ,इसलिए थोड़ा -थोड़ा रोज मरने लगे 
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