जो बात हम अपने मुँह से नहीं बोल पाते अपने प्रिये या अपनी प्रियतमा को वो हम अपने शब्दों को लिखकर ब्यान कर सकते है ऐसी ही कुछ शायरी हम लेकर आये है शायरी दिल से में जो दिल को छू लेगी आपके ।।
ज़ब खामोश आँखों से बात होती है,
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तुम्हारे ही खयालो में खोये रहते है,
पता नहीं कब दिन कब रात होती है।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
-मिर्जा ग़ालिब
वो शायर होते हैं जो शायरी लिखते हैं
हम तो बदनाम से लोग हैं सिर्फ दर्द लिखते हैं
बहुत अजीब होता है कमबख्त इश्क का खेल
कोई एक भी थक जाये तो दोनों हार जाते हैं
ख्वाहिशों से भरा पड़ा है मेरा घर इस कदर
रिश्ते जरा-सी जगह को तरसते हैं।
-गुलज़ार
मैं तो इस वास्ते चुप हूं कि तमाशा न बने
और तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं!
छोड़ दिया मैंने अपने दिल का साथ,
प्यार ने थाम लिया है तनहाई का हाथ।
इतना तो गुरूर है मुझे आज
भले अहसासों ने छोड़ा, तनहाई न होगी
जिनके मैं पैर छूने के भी काबिल नहीं
सिर्फ एक सफ़ाह
पलटकर उसने,
बीती बातों की दुहाई दी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी
रिहाई दी है।
-गुलज़ार
बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बैठकर बेकार खुल गया। -मुनव्वर राणा
मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा तेरी राय भी...!
एक आंसू भी
हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं
आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा
जब कोई नहीं था तेरी जिंदगी में तो बहुत अनमोल थे हम
अब नए लोग मिल गए तो हमारी कोई औकात नहीं रही
कोई नहीं याद करता वफा करने वालो को यहाँ
मेरी मानो बेवफा हो जाओं जमाना याद रखेगा
जब कोई नहीं था तो बहुत अनमोल थे हम
नए लोग मिल गए तो हमारी कोई औकात नहीं रही
कोई नहीं याद करता वफा करने वालो को यहाँ
मेरी मानो बेवफा हो जाओं जमाना याद रखेगा
कौन कहता है की वो मेरे बिना खुश है
जरा उनके सामने मेरा नाम ले कर देखो
फासलों से अगर जीना सीख सकते हो तुम
तो तुम्हे इजाजत है हम से दूरियाँ बनाने की
हमें हिंदी शायरी का शौक कहाँ था
हम तो लिखते हैं फकत अन्दाज तेरे
तेरे इश्क में दीवानी हूँ
तू है समां मैं तेरी परवानी हूँ
ऐ समंदर इश्क की गहराई को न नाप तोल
तसव्वर में यार को रख और जा डूबता जा
बहुत अजीब होता है कमबख्त इश्क का खेल
कोई एक भी थक जाये तो दोनों हार जाते हैं
वो अक्सर मेरे चेहरे को चूम लेती है
जिनके मैं पैर छूने के भी काबिल नहीं
फासले तो बढा रहे हो मगर इतना याद रखना
के मोहब्बत बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती
सुनो तोबाह करलो अब तो मेरी शायरी से
जितना पढते जाओगे उतना मुझपे मरते जाओगे
बहोत करली तेरे हुस्न पे शायरी हमने
अब तेरे करतूतों पे किताब लिखूंगा मैं
मेरे लफ्जों की तबियत शायद आज ठीक नहीं
आज आप ही कोई शायरी दिल से सुना दो ।
कौन कहता हैकी वो मेरे बिना खुश है
जरा उनके सामने मेरा नाम लेकर तो देखो
फासलों से अगर जीना सीख सकते हो तुम
तो तुम्हे इजाजतहै हम से दूरियाँ करने की।
Love shayri ,Bewfai Shayri ,maa ke liye shayri,dosti ki shayri ,dhokhe ki shayri
ज़ब खामोश आँखों से बात होती है,
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तुम्हारे ही खयालो में खोये रहते है,
पता नहीं कब दिन कब रात होती है।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
-मिर्जा ग़ालिब
वो शायर होते हैं जो शायरी लिखते हैं
हम तो बदनाम से लोग हैं सिर्फ दर्द लिखते हैं
बहुत अजीब होता है कमबख्त इश्क का खेल
कोई एक भी थक जाये तो दोनों हार जाते हैं
ख्वाहिशों से भरा पड़ा है मेरा घर इस कदर
रिश्ते जरा-सी जगह को तरसते हैं।
-गुलज़ार
मैं तो इस वास्ते चुप हूं कि तमाशा न बने
और तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं!
छोड़ दिया मैंने अपने दिल का साथ,
प्यार ने थाम लिया है तनहाई का हाथ।
इतना तो गुरूर है मुझे आज
भले अहसासों ने छोड़ा, तनहाई न होगी
माँ के ऊपर बनी ये शायरी ,बेवफा की शायरी,माँ की शायरी लव की शायरी ,
माँ के नाम शायरी
वो अक्सर मेरे चेहरे को चूम लेती हैजिनके मैं पैर छूने के भी काबिल नहीं
सिर्फ एक सफ़ाह
पलटकर उसने,
बीती बातों की दुहाई दी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी
रिहाई दी है।
-गुलज़ार
बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बैठकर बेकार खुल गया। -मुनव्वर राणा
मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा तेरी राय भी...!
एक आंसू भी
हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं
आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा
इश्क़ की शायरी ,धोखे की शायरी, मोहब्बत की शायरी , दोस्त की शायरी, माँ बाप की शायरी
अब नए लोग मिल गए तो हमारी कोई औकात नहीं रही
कोई नहीं याद करता वफा करने वालो को यहाँ
मेरी मानो बेवफा हो जाओं जमाना याद रखेगा
जब कोई नहीं था तो बहुत अनमोल थे हम
नए लोग मिल गए तो हमारी कोई औकात नहीं रही
कोई नहीं याद करता वफा करने वालो को यहाँ
मेरी मानो बेवफा हो जाओं जमाना याद रखेगा
कौन कहता है की वो मेरे बिना खुश है
जरा उनके सामने मेरा नाम ले कर देखो
फासलों से अगर जीना सीख सकते हो तुम
तो तुम्हे इजाजत है हम से दूरियाँ बनाने की
हमें हिंदी शायरी का शौक कहाँ था
हम तो लिखते हैं फकत अन्दाज तेरे
तेरे इश्क में दीवानी हूँ
तू है समां मैं तेरी परवानी हूँ
ऐ समंदर इश्क की गहराई को न नाप तोल
तसव्वर में यार को रख और जा डूबता जा
बहुत अजीब होता है कमबख्त इश्क का खेल
कोई एक भी थक जाये तो दोनों हार जाते हैं
माँ के नाम शायरी
वो अक्सर मेरे चेहरे को चूम लेती हैजिनके मैं पैर छूने के भी काबिल नहीं
फासले तो बढा रहे हो मगर इतना याद रखना
के मोहब्बत बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती
सुनो तोबाह करलो अब तो मेरी शायरी से
जितना पढते जाओगे उतना मुझपे मरते जाओगे
बहोत करली तेरे हुस्न पे शायरी हमने
अब तेरे करतूतों पे किताब लिखूंगा मैं
मेरे लफ्जों की तबियत शायद आज ठीक नहीं
आज आप ही कोई शायरी दिल से सुना दो ।
कौन कहता हैकी वो मेरे बिना खुश है
जरा उनके सामने मेरा नाम लेकर तो देखो
फासलों से अगर जीना सीख सकते हो तुम
तो तुम्हे इजाजतहै हम से दूरियाँ करने की।
Please do not enterany spam link in tha comment box ConversionConversion EmoticonEmoticon