मोहब्बत के इस सफर में ना जाने आशिक क्या- क्या कर जाते है अपने प्यार को पाने के लिए'' अगर रूठा हो सनम तो उसे कैसे मनाये हम ''अपने हमसफर को हाल ऐ दिल कैसे दिखाए हम तो अब चिंता करने की कोईबात नहीं है हम शायरी दिल से में ऐसी शायरी लेकर आये है जो दिल को छु लेगी आपके सनम के तो आइये पढ़े दिल को छु लेने वाली शायरियां
दिल में हर राज दबाकर रखते है ,होंठो पर मुस्कराहट सजा कर रखते है
ये दुनिया सिर्फ उन्ही की जो खुश रहते है ,इसलिए हम अपने आंसू छुपाकर रखते है ।।
मैंने कल छतों की सब किताबे फाड़ दी
सिर्फ एक कागज़ पर लिखा लब्ज '' माँ ''रहने दिया ।।
मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,
मोहब्बत का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन है।
उठे दिल की आवाज या हक बयानी
ये फनकार की ही सदा बोलती है
फकत एक तहरीर के दम से हरदम
कलम बन के फन की ज़ुबां बोलती है
हरिशंकर पाण्डेय”सुमित”
किस्मत ने हमें छोड़ा है या हमने किस्मत को छोड़ा है ये कभी जाना नहीं
जिंदगी की डगर पर हमने कदम तो रखा मगर किसी को पहचाना नहीं ।।
ऐसा जगाया आपने कि अब तक ना सो सके हम , यूँ रुलाया कि महफ़िल में रो ना सके हम, ना जाने क्या बात हैआप में सनम जबसे तुम्हें अपना माना है किसी के हो न सके हम ।
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ ।
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे
"फराज़" क्यों तन्हा हो गए तेरे जाने के बाद |
यही सोच कर उस की हर बात को सच मानते रहे हम
के इतने ख़ूबसूरत लव झूठ कैसे बोलेंगे ।
बड़ी मुश्किल से सुलाया था खुद को “फ़राज़” मैंने आज
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच दे कर ||
सुना है आज कल वो परेशान रहती है उससे कहना बे -फ़िक्र मैं भी नहीं हूँ
सुना है वो गुमसुम रहती है।।कोई उसे जाकर बता दो उसके बिना खुश तो मैं भी नहीं हूँ ।।
आज तो उस पे ठहरती ही न थी आँख मेरी
उसके जाते ही नज़र मैंने उतारी उसकी
तेरे सिवा भी कई रंग ख़ुशनज़र थे मगर
जो तुझको देख चुका हो वो और क्या देखे
मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की
भरी बहार में जैसे मकान ढहता है
सर छुपाएँ तो बदन खुलता है
ज़ीस्त मुफ़लिस की रिदा हो जैसे
तोहमत लगा के माँ पे जो दुश्मन से दाद ले
ऐसे सुख़नफ़रोश को मर जाना चाहिये ।
नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
कल फिर वो मेरे शहर में आ कर चला गया
जिसे ढूंढती रही मैं लोगो की भीड़ में
मुझ से वो अपने आप को छुपा कर चला गया
में उसकी खामोशी का सबब पूछती रही
वो किस्से इधर उधर के सुना कर चला गया
यह सोचती हूँ कैसे भूलूंगी अब उसे
एक शख्स वो जो मुझ को भुला कर चला गया
कौन कहता है की वो मुझे इश्क़ में धोखा दे गया
वो तो मुझे दूसरा आशिक को पटाने का मौका दे गया ।
दिल में हर राज दबाकर रखते है ,होंठो पर मुस्कराहट सजा कर रखते है
ये दुनिया सिर्फ उन्ही की जो खुश रहते है ,इसलिए हम अपने आंसू छुपाकर रखते है ।।
मैंने कल छतों की सब किताबे फाड़ दी
सिर्फ एक कागज़ पर लिखा लब्ज '' माँ ''रहने दिया ।।
मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,
मोहब्बत का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन है।
उठे दिल की आवाज या हक बयानी
ये फनकार की ही सदा बोलती है
फकत एक तहरीर के दम से हरदम
कलम बन के फन की ज़ुबां बोलती है
हरिशंकर पाण्डेय”सुमित”
किस्मत ने हमें छोड़ा है या हमने किस्मत को छोड़ा है ये कभी जाना नहीं
जिंदगी की डगर पर हमने कदम तो रखा मगर किसी को पहचाना नहीं ।।
ऐसा जगाया आपने कि अब तक ना सो सके हम , यूँ रुलाया कि महफ़िल में रो ना सके हम, ना जाने क्या बात हैआप में सनम जबसे तुम्हें अपना माना है किसी के हो न सके हम ।
Ahmad faraz shayari and ghazal
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ ।
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे
"फराज़" क्यों तन्हा हो गए तेरे जाने के बाद |
यही सोच कर उस की हर बात को सच मानते रहे हम
के इतने ख़ूबसूरत लव झूठ कैसे बोलेंगे ।
बड़ी मुश्किल से सुलाया था खुद को “फ़राज़” मैंने आज
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच दे कर ||
सुना है आज कल वो परेशान रहती है उससे कहना बे -फ़िक्र मैं भी नहीं हूँ
सुना है वो गुमसुम रहती है।।कोई उसे जाकर बता दो उसके बिना खुश तो मैं भी नहीं हूँ ।।
परवीन शाकिर की शायरी
आज तो उस पे ठहरती ही न थी आँख मेरी
उसके जाते ही नज़र मैंने उतारी उसकी
तेरे सिवा भी कई रंग ख़ुशनज़र थे मगर
जो तुझको देख चुका हो वो और क्या देखे
मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की
भरी बहार में जैसे मकान ढहता है
सर छुपाएँ तो बदन खुलता है
ज़ीस्त मुफ़लिस की रिदा हो जैसे
तोहमत लगा के माँ पे जो दुश्मन से दाद ले
ऐसे सुख़नफ़रोश को मर जाना चाहिये ।
नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
कल फिर वो मेरे शहर में आ कर चला गया
जिसे ढूंढती रही मैं लोगो की भीड़ में
मुझ से वो अपने आप को छुपा कर चला गया
में उसकी खामोशी का सबब पूछती रही
वो किस्से इधर उधर के सुना कर चला गया
यह सोचती हूँ कैसे भूलूंगी अब उसे
एक शख्स वो जो मुझ को भुला कर चला गया
हिंदी और उर्दू शायरी – परवीन शाकिर की शायरी
Funny Shayri
कौन कहता है की वो मुझे इश्क़ में धोखा दे गया
वो तो मुझे दूसरा आशिक को पटाने का मौका दे गया ।
इश्क़ -विश्क प्यार- व्यार सब झूठ है खेल है धोखा है यारों
फिर भी मैं तो यही कहूँगी इश्क़ करो तुम्हे किसने रोका है यारों ।
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