Hindi poem pyari maa,,मातृ दिवस पर कविता

 Hindi poem pyari maa,मातृ दिवस पर कविता  


 दोस्तों माँ कायनात में खुदा का दिया हुआ सबसे कीमती और खूबसूरत तोहफा है ,माँ अहसास है न की हवा का झोका है वो खुशनसीब होते है जिनके साथ माँ है या जिन्हे माँ का प्यार मिला है  माँ अपना सबकुछ न्योछावर कर देती है अपने बच्चों की ख़ुशी के खातिर हमारा भी फ़र्ज़ बनता है की जब हमारी माँ को हमारी सबसे ज्यादा जरुरत हो तो हम हमेशा उनके साथ खड़े पाए\ माँ के लिए सब को छोड़ देना पर किसी के लिए" माँ " को मत छोड़ना ये वो खुदा है जो हमें दुनिया में लाती है और हमें चलना, बोलना सब कुछ सिखाती है  खुद गीले बिस्तर पर सोती  है और हमें सूखे में सुलाती है  दोस्तों आपसे विनती है कभी भी अपनी माँ का दिल न दुखाना । आज हम "Shaayri Dil Se'' में अपने दिल से निकली हुई ये कविता और शायरी आपके साथ शेयर कर रहे है | आशा करते है आपको जरूर पसंद आएगी ।। 
                            
मातृ दिवस पर कविता
मातृ दिवस पर कविता


अपनी मजबूरी को छुपाकर हमें पाला है


             माँ भेद नहीं करती बेटा  गोरा है या काला है ।


                        अपने माथे की शिकन छुपाकर भी हमें पाला है   

    
        माँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

                            माँ की तरफ  कभी मैंने देखा 
था माँ की आँखों में जाला था 

                             माँ ने फिर भी मुस्कुराकर हमारी ख़ुशी के लिए  सब टाला था  


                  माँ भेद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


                                           माँ ने जिंदगी भर जो कुछ जोड़ा था वो अपने बच्चों को दे डाला 


                                            जिंदगी भर कमाती रही बच्चो के लिए तब जाकर उनका पेट पाला 


                   माँ भेद  नहीं करती बेटा गोरा है या फिर काला है


                        माँ कायनात है  जन्नत है हमारी आँखों का उजाला है


              ,माँ भेद नहीं करती बेटा गोरा है या काला ।।
maa ki yaad me kavita

                खुदा से पहले जिसे मानु वो माँ है मेरी,

                चली जाये न मुझे छोड़कर वो जान है मेरी

                 खुदा अगर दे मुझे कुछ तो माँ के लिए ही मांग लूँ

                 जो खुवाइशे  रह गई माँ की वो  पहले माँ से जान लूँ   
             
                वो माँ है जो माथे की शिकन हमसे छुपाती है

                 गमो का ढेर रखती है सीने में मगर सबसे छुपाती है

                अपने बच्चो की आँखों में आंसू देखकर माँ तिलमिला जाती  है

                  कलेजा तक चीर कर रख देगी अगर बच्चों पर आंच आती है

                 अपने बच्चो को दुखी देखकर माँ खूब रोती है

                   हमेशा खुश रहे बच्चे मेरे हमेशा यही सोचती है

            मांगा है खुदा से सारी जिंदगी माँ ने हमारे लिए

             आज अगर खुदा दे मुझे तो मैं भी माँ के लिए मांग लू  ।।


  "   Happy mother day  "

 माँ पर कुछ पंक्तियाँ ,माँ का आँचल शायरी



तेरे  नाम मेरी जुबाँ पे पहली बार तब आया 

जब मैंने पहला शब्द बोला" माँ"

तेरी सूरत दुनिया में सबसे प्यारी है,

 तुझे देखकर मेरी थकान  सब मिट जाती है माँ ।।

जब तक  तेरी ममता की मूरत इस दुनिया में रहेगी 

कोई मंदिर ,मस्जिद की कमी नहीं

गर तू न रहे तो ये सारा संसार वीरान हो जाये  

क्योकि ये दुनिया तेरे ऊपर ही आजतक टिकी रही ।।

   तेरी ऊगली ने मुझे चलना सिखाया तेरी सूरत ने बोलना 

 खता क्या  हो गई है मुझसे ये भेद खोल न 

माँ  मैं तो तेरी आँख का तारा था  न माँ

और तू तो टूटते तारे से दुआ मांगती थी न,

 आज तेरा तारा फिर टूट गया फिर दुआ मांग न माँ ।।

maa ki mamta shayari माँ पर दो लाइन शायरी

तेरी गोदी में लेटकर दुनिया का सारा डर  भूल जाता था  मैं
आज डर तो और  भी ज्यादा है पर तेरी गोद  नहीं है डर भुलाने को ।।



वो अक्सर मेरे चेहरे को चूम लेती है
जिनके मैं पैर छूने के भी काबिल नहीं

       जब मां डांट रही थी तो कोई चुपके से हंस रहा था
           वो कोई और नहीं था वो मेरे पापा ही था ।।


      माँ  ने कहा  रो मत मेरे बच्चे मुसीबत के दिन गुजर जायेगे
     देखना तू तेरी हंसी उड़ने वालों के चेहरे भी एक दिन उतर जायेंगे ।

माँ पर कुछ पंक्तियाँ
माँ पर कुछ पंक्तियाँ


न जाने खुदा ने क्या सोचा होगा जो माँ को बनाया 
 माँ की गोद का मजा लेने तो खुदा खुद भी जमीं पर आया
माँ के पहलु में सब दुःख भूल जाते है वो एक सिर्फ माँ है 
जो मरकर भी अपनी ओलाद के साथ रहती है बनकर उसका साया ||




माँ का लाडला शायरी, maa shayari 2 lines
         


                अपना कलेजा निकाल देती है माँ, जब बच्चों की बात आती है
                   खुद भूखी रहकर भी यही दिखाती है, तुम खाओ बेटा मैंने तो खा लिया ।।
                   

                  क्या माँ जैसी कायनात में और है कोई, जो अपना नहीं अपने बच्चे का ही सोचती है
                                और एक औलाद है ऐसी भी जो माँ की नहीं सिर्फ अपनी ही सोचता है  \\


                            एक बेटा दगा दे देता है अपनी माँ को
                           मगर एक बेटी परछाई बन कर 
                             साथ निभाती है अपनी माँ का
          
                 माँ की कीमत वक्त रहते पहचान लो
                   वरना न तुम्हारा वक्त रहेगा न कीमत होगी \\  

                         बड़ी इबादत से पूछा था मैंने खुदा से जन्नत का पता
                           तो अपनी गोद से उतारकर   खुदा ने माँ की गोद में हमें डाल दिया |



          मेरी माँ ने मुझे एक ही बात सिखाई है
         बेटा कोई हाथ से छीनकर  ले जा सकता है
         पर नसीब से कोई नहीं ।।

       न जाने कैसी नजर लगी ज़माने की
     अब वजय नहीं मिलती मुस्कुराने की ||


           भीड़ में भी सीने से लगा के दूध पीला देती है
           अगर बच्चा भूख हो माँ शर्म को भी भुला देती है ।।



             कभी मत कहिये की मेरी माँ मेरे साथ रहती है
              हमेशा ये कहिये की मै  हमेशा माँ के साथ रहता हु । ।


     


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